Wednesday, 21 December 2011

कविता


कविता ख़ुशी से सराबोर तो कभी दर्द की डोर
कविता ज़िन्दगी से रूबरू तो कभी ज़िन्दगी की ओर


कविता जब भी लिखे जब भी पढ़े अहमियत है उसकी 
कविता ख़ामोशी की बात कभी ख़ामोशी का शोर 


कविता दोस्त है कविता दोस्ती से बढ़कर एक रिश्ता 
कविता जो भावनाओं को जीती है निभाने की तौर 


कविता जो काग़ज़ पर कभी कभी ज़हन पर उतरती 
कलम जिसे लिखती रहती नहीं करती सियाही पर गौर 


कविता जो मायने अपने खुद ही होती है हमेशा 
कलम उन्मुक्त रहे बंधन के नहीं इसमें दौर