कविता ख़ुशी से सराबोर तो कभी दर्द की डोर
कविता ज़िन्दगी से रूबरू तो कभी ज़िन्दगी की ओर
कविता जब भी लिखे जब भी पढ़े अहमियत है उसकी
कविता ख़ामोशी की बात कभी ख़ामोशी का शोर
कविता दोस्त है कविता दोस्ती से बढ़कर एक रिश्ता
कविता जो भावनाओं को जीती है निभाने की तौर
कविता जो काग़ज़ पर कभी कभी ज़हन पर उतरती
कलम जिसे लिखती रहती नहीं करती सियाही पर गौर
कविता जो मायने अपने खुद ही होती है हमेशा
कलम उन्मुक्त रहे बंधन के नहीं इसमें दौर