Tuesday, 28 August 2012

जीवन पथ पर सभी साथी बिछड़ जाने हैं


जीवन पथ पर सभी साथी बिछड़ जाने हैं
जो आज साथ हँसते हैं कल मरघट तक भी नहीं जाने हैं

 जीवन पथ पर सभी साथी बिछड़ जाने हैं

वक़्त के साए ख़ुशी में थे वक़्त के साए ग़म में भी
करता स्वयं को मान बैठता है मगर आदमी ही

रात के अँधेरे ही सुबह के तराने बन जाने हैं

जीवन पथ पर सभी साथी बिछड़ जाने हैं

मंजिलों और रास्तों की उलझन में खोता है आदमी
रास्तों पर चलके ही मंजिल को मंजिल समझता है आदमी

हासिल किये जो मुकाम रास्तों की गर्द बन जाने हैं

जीवन पथ पर सभी साथी बिछड़ जाने हैं


जीवन जो जिया जाता है जीवन वो न जिया जाता है
जीवन जो बह लेता है जीवन वो जीवन होता है

जीवन में चिंताओं के भार नहीं उठाने होते हैं

जीवन पथ पर सभी साथी बिछड़ जाने हैं

जीवन वो ही जीवन नहीं जो जीवन के साथ है
जीवन वो भी जीवन है जो मृत्यु के बाद है

जीवन पथ ऐसा सागर जिसमे नहीं किनारे हैं

जीवन पथ पर सभी साथी बिछड़ जाने हैं

1 comment:

  1. शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन,पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.बहुत खूब.
    बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
    आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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